शाही इमाम ने कहा कि अल्लाह ताआला हमारी नीयतों को जानता है। उसे पता है कि कौन दिखावे का भूखा प्यासा है और कौन सच्चा रोजेदार है। मौलाना ने कहा कि अल्लाह के प्यारे नबी हजरत मुहम्मद सल्ललाहु अलैहीवसल्लम रमजान शरीफ के पवित्र महीने में तेज चलने वाली हवा से भी ज्यादा फइयाका (दानी) थे। शाही इमाम ने कहा कि रमजान शरीफ में हमें चाहिए कि धार्मिक कामों से भी पहले आर्थिक रूप से कमजोर अपने पड़ौसियों व रिश्तेदारों की मदद करे। उन्होनें कहा कि पड़ौसी चाहे किसी भी धर्म से सबंध रखता हो, अगर वह भूखा है तो मुस्लमान पर उसकी मदद करना फर्ज है।
उन्होनें कहा कि अल्लाह ताआला अपने उन बंदों से बहुत प्यार करता है जो कि उसके बंदों की मदद करते है। शाही इमाम ने कहा कि इबादत से जन्नत मिलती है लेकिन खिदमत से खुदा मिलता है। इसलिए अगर हम चाहते है कि खुदा के दोस्त बन जाए तो बिना भेद-भाव के कमजोर इंसानों की मदद करें। शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान ने कहा कि रमजान का ये पवित्र महीना हमें इसी तरह प्यार, मोहब्बत और आपसी भाईचारे को बढ़ाने की प्रेरणा देता है। वर्णनयोग है कि आज रमजान शरीफ के तीसरे जुम्मे के मौके पर शहर भर की सभी मस्जिदों में भारी संख्या में नमाजी इकत्रित हुए। तकरीबन सभी मस्जिदों के बाहर सडक़ों पर भी नमाज अदा की गई।